अच्छा और बुरा
जब हड्डी में चोट लगती है, तो उसके टूट जाने को फ्रैक्चर कहा जाता है जब फ्रैक्चर होता है तो हम उस हिस्से को पट्टी बांध कर रखते है जिसे हम प्लास्टर कहते है । जैसे हड्डी टूटने पर हम प्लास्टर के साथ उस हिस्से को मन ना होने पर भी आपने साथ ही रखते है ,यह जानते हुए कि यह टूटा हुआ हिस्सा फिलहाल हमारे किसी काम का नहीं ।ठीक इस फैक्टर कि तरह ,हमारा रिश्ता कुछ लोगो के साथ ऐसा ही होता है। ना चाहते हुए भी हम उन लोगो को साथ रखना होता है ,यह जानते हुए कि ये रिश्ता हमारे किसी भी काम का नहीं । वह लोग आपको हमेशा गलत बोलते हैं और यह नहीं देखते की वो या उनका वाव्हार आपके प्रति कितना गलत है। मजा तो तब आता है जब ये लोग आपको सिर्फ किसी काम होने पर ही याद करते है । आपके सामने मीठी वाणी बोलते है,और पीठ पीछे जहर उगलते है । पर यह तो संसार की परंपरा है । जरूरत पड़ने पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता है। कहा जाता है कर भला तो हो भाला ,कर बुरा तो हो बुरा तो हो बुरा । यह दुनिया एक आईना है आप जैसा करते है वैसा ही सामने वाला भी करता है । पर ये हर जगह सही साबित नहीं होती।कई बार हमारा अच्छा किया हुआ सामने वाले को कांटे सी चुभन देती है। इसलिए नहीं कि हम गलत है बल्कि इस लिए क्युकी हमरा तरीका अलग है। कर्म की गति नयारी होती है हर किसी को आपने किए का भुक्तान इसी जन्म में ही करना होता है। पर यह समय रहते कहा समझ आता । आपने स्वार्थ में डूबे हुए लोग इतने अंधे हो जाते है कि उनको दूसरों की पीड़ा दिखाई ही नहीं देती । ऐसे लोग खुद तो परेशान रहते ही है ,और दूसरों को भी चैन से नहीं रहने देते। ऐसे हालात में विकल्प ही क्या है?बुराई को अच्छाई से ही हराया जा सकता है । हमे आपने अच्छाई पे बने रहने का संकल्प लेना होगा । जरूरी नहीं कि संसार को जो दिखे वो ही सच है , आपके कुछ कर्म ऐसे होने चाहिए जिसके साक्षी सिर्फ आप और भगवान हो। शायद इसीलिए कहा जाता है नेकी कर दरिया में डाल, नेकी करो और भूल जाओ। जिस प्रकार प्लास्टर द्वारा एक टूटी हुई हड्डी को ठीक किया जाता है और वह बेकार सा दिखने वाला हिस्सा वापस से ठीक हो जाता है ठीक उसी प्रकार बुरे लोगों के साथ अच्छाई बनाकर रखने से शायद आज नहीं तो कल उनका भी हृदय परिवर्तन होगा, बुद्धि ठीक होगी और वह भी हमसे अच्छा आचरण करने लगेंगे। अतः हमेशा याद रखना चाहिए की बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत होती है। आखिर एक दिन हम सब को दुनिया छोड़ जाना है । मारने के बाद लोग सिर्फ आपने कर्मो के कारण याद रहते है । इसीलिए अपने कर्मो का चक्र ठीक रखिए । भगवान माफ करता है कर्म नहीं।इस लिए ध्यान रखे किसी के मन पर चोट ना करे नहीं तो मन का फैक्टर हो सकता है ,और जरूरी नहीं कि हर एक फ्रैक्चर ठीक हो जाए कभी कभी फ्रैक्चर बिगड़ भी जाता है,और बिगड़ा हुआ फ्रैक्चर जादा कष्ठ का कारक होता है